Zindgi 50-50: ज़िन्दगी ५०-५०
Material type: TextLanguage: Hindi Publisher: Delhi Rajpal & Sons 2019Edition: 3rd edDescription: 208 p. PB 21x14 cmISBN: 9789386534132Subject(s): Hindi Fiction: हिंदी कहानी | Hindi Literature: हिंदी साहित्यDDC classification: H891.3 Summary: भावनाएँ, ज़रूरतें, महत्वाकांक्षाएँ-ये सब एक स्त्री की-लेकिन शरीर-पुरुष का! एक बेहद दर्दनाक परिस्थिति जिसमें ज़िन्दगी, ज़िन्दगी नहीं, समझौता बनकर रह जाती है। ऐसे इन्सान और उसके घरवालों को हर मकाम पर समाज के दुव्र्यवहार और ज़िल्लत का सामना करना पड़ता है। अनमोल इस बात को अच्छी तरह समझता है क्योंकि उसकी अपनी एकमात्र सन्तान और छोटा भाई, दोनों की यही वास्तविकता है, दोनों किन्नर हैं। भाई को पल-पल पिसते, घर और बाहर प्रताड़ित और अपमानित होते हुए देख अनमोल यह दृढ़ निश्चय करता है कि वह अपने बेटे को अधूरी ज़िन्दगी नहीं, बल्कि भरपूर ज़िन्दगी जीने के लिए हर तरह से सक्षम बनायेगा! लेकिन क्या वह ऐसा कर पाता है...पढ़िये इस उपन्यास में। ‘‘...भगवंत अनमोल...ऐसे युवा साहित्यकारों की फेहरिस्त काफ़ी लम्बी है जिन्होंने अपनी वास्तविक प्रेम कहानी लिखी और सेलेब्रिटी राइटर बन गये।’’ -दैनिक जागरण-डिज़ायर मैगज़ीन ( ई-एडिशन ), 4 मार्च 2015 ‘‘कुछ हिन्दी लेखकों ने बड़े-बड़े अंग्रेज़ी लेखकों को पीछे छोड़ दिया है। उन्हीं में से एक, भगवंत अनमोल, युवाओं के बीच काफ़ी लोकप्रिय हैं।’’ -दैनिक जागरण, फरवरी 2015Item type | Current location | Collection | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Book | St Aloysius College (Autonomous) | Hindi | H891.3 ANMZ (Browse shelf) | Available | 075704 |
भावनाएँ, ज़रूरतें, महत्वाकांक्षाएँ-ये सब एक स्त्री की-लेकिन शरीर-पुरुष का! एक बेहद दर्दनाक परिस्थिति जिसमें ज़िन्दगी, ज़िन्दगी नहीं, समझौता बनकर रह जाती है। ऐसे इन्सान और उसके घरवालों को हर मकाम पर समाज के दुव्र्यवहार और ज़िल्लत का सामना करना पड़ता है। अनमोल इस बात को अच्छी तरह समझता है क्योंकि उसकी अपनी एकमात्र सन्तान और छोटा भाई, दोनों की यही वास्तविकता है, दोनों किन्नर हैं। भाई को पल-पल पिसते, घर और बाहर प्रताड़ित और अपमानित होते हुए देख अनमोल यह दृढ़ निश्चय करता है कि वह अपने बेटे को अधूरी ज़िन्दगी नहीं, बल्कि भरपूर ज़िन्दगी जीने के लिए हर तरह से सक्षम बनायेगा! लेकिन क्या वह ऐसा कर पाता है...पढ़िये इस उपन्यास में। ‘‘...भगवंत अनमोल...ऐसे युवा साहित्यकारों की फेहरिस्त काफ़ी लम्बी है जिन्होंने अपनी वास्तविक प्रेम कहानी लिखी और सेलेब्रिटी राइटर बन गये।’’ -दैनिक जागरण-डिज़ायर मैगज़ीन ( ई-एडिशन ), 4 मार्च 2015 ‘‘कुछ हिन्दी लेखकों ने बड़े-बड़े अंग्रेज़ी लेखकों को पीछे छोड़ दिया है। उन्हीं में से एक, भगवंत अनमोल, युवाओं के बीच काफ़ी लोकप्रिय हैं।’’ -दैनिक जागरण, फरवरी 2015
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