Pravin Kumar Jha: प्रवीण कुमार झा

Wah ustad: Hindustani Sangeeth gharano ki kisse: वह उस्ताद : हिन्दुस्तानी संगीत घरानों के किस्से - 2nd ed. - Delhi Rajpal & Sons 2021 - 160 p. PB 21x14 cm.

ताल गया तो बाल गया सुर गया तो सर गया ऐसी होती है भारतीय शास्त्रीय संगीत के घरानों की परंपरा - जहाँ संगीत के हर एक पहलू पर इतना बारीकी से ध्यान दिया जाता है। वर्षों की कड़ी मेहनत और रियाज़ से ही बन पाता है कोई ऐसा गायक कि जिसे सुनकर श्रोता कह उठते हैं - वाह उस्ताद!! ग्वालियर घराना, आगरा घराना, भिंडी बाज़ार घराना, दिल्ली घराना, पटियाला घराना....ये नाम हैं उत्तर भारत के शास्त्रीय संगीत से जुड़े घरानों के। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत में घरानों की परंपरा रही है। देश के अलग-अलग प्रांतों से इन घरानों की शुरुआत हुई और उसी जगह के नाम पर रखे गये हैं घरानों के नाम। हर घराने की अपनी खासियत, अपना इतिहास और अपना वंश है। यूँ तो संगीत का आनंद लेने के लिए ज़रूरी नहीं कि संगीत का ज्ञान हो लेकिन अगर थोड़ी बहुत संगीत की जानकारी हो, यह मालूम हो कि गायक और वादक के संगीत का क्या संदर्भ है, तो उसे सुनने में और ही आनंद आता है। इस पुस्तक में अलग-अलग घरानों से संबंधित जानकारी और उससे जुड़े किस्से-कहानियाँ हैं। इनमें से कई किस्से-कहानियाँ लेखक की सुनी-सुनाई हैं तो कई जगह अधिक रोचक बनाने के लिए मौजूदा तथ्यों का नाटकीयकरण किया गया है। लेकिन कुल मिलाकर इन सबसे पाठक की संगीत में रुचि तो बढ़ती है और साथ में आनंद भी। प्रवीण कुमार झा पेशे से चिकित्सक हैं लेकिन साहित्य में उनकी गहरी रुचि है। वे हिन्दी और अंग्रेज़ी, दोनों भाषाओं में लिखते हैं और उनका ब्लॉग बहुत लोकप्रिय है। बिहार में पले-बढ़े प्रवीण कुमार ने पूना, दिल्ली और बंगलूरु में मेडिकल की पढ़ाई की। हाल में प्रकाशित उनकी पुस्तक कुली लाइन्स बहुचर्चित है। वर्तमान में वे नॉर्वे में रहते हैं। इनका संपर्क है

9789389373271


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