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_aH891.8
_bBACD
100 _aHarivanshrai Bachchan: हरिवंशराय बच्चन
_924780
245 _aDashdwar se sopan tak: Harivanshrai Bachchan ki atmakata:
_bदशद्वार से सोपान तक: हरिवंशराय बच्चन की आत्मकथा: Part 4
260 _aDelhi
_bRajpal & Sons
_c2020
300 _a527 p.
_bHB
_c22X15 cm.
365 _2Hindi
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_f12-03-2022
520 _aप्रख्यात लोकप्रिय कवि हरिवंशराय बच्चन की बहुप्रशंसित आत्मकथा हिन्दी साहित्य की एक कालजयी कृति है। यह चार खण्डों में है: "क्या भूलूँ क्या याद करूँ", "नीड़ का निर्माण फिर", "बसेरे से दूर" और "‘दशद्वार’ से ‘सोपान’ तक"। यह एक सशक्त महागाथा है, जो उनके जीवन और कविता की अन्तर्धारा का वृत्तान्त ही नहीं कहती बल्कि छायावादी युग के बाद के साहित्यिक परिदृश्य का विवेचन भी प्रस्तुत करती है। निस्सन्देह, यह आत्मकथा हिन्दी साहित्य के सफ़र का मील-पत्थर है। बच्चनजी को इसके लिए भारतीय साहित्य के सर्वोच्च पुरस्कार -‘सरस्वती सम्मान’ से सम्मानित भी किया जा चुका है।
650 _aHindi Miscellaenous:
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650 _aHindi Literature: हिन्दी विविध
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650 _aAutobiography: आत्मकथा
_924522
700 _aBACHCHAN (Harivanshrai): बच्चन ( हरिवंशराय)
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_cBK
999 _c221973
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