000 | 02552nam a22002297a 4500 | ||
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040 | _cAloy | ||
041 | _ahin | ||
082 |
_223 _aH891.3 _bKUMC |
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100 |
_aPravin Kumar: प्रवीण कुमार _924242 |
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245 | _aChhabila rangbaaz ka shahar: छबीला रंगबाज़ का शहर | ||
260 |
_aDelhi _bRajpal & Sons _c2017 |
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300 |
_a222p. _bPB _c21x14 cm. |
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365 |
_2Hindi _a6476 _b220.00 _c₹ _d275.00 _e20% _f12-03-2022 |
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520 | _aज़ोरदार कथानक, कहानी कहने की अपनी अनोखी शैली, सशक्त और सजीव चित्रांकन कि कहानी पढ़ते हुए पाठक उसी परिवेश में सराबोर हो जाता है जिस कारण हिन्दी के वरिष्ठ साहित्यकार काशीनाथ सिंह ने इसे सराहा है। युवा लेखक प्रवीण कुमार की इन चार लम्बी कहानियों में छोटे-बड़े शहरों और कस्बों की ज़िन्दगी का हर पहलू, वहाँ की बोली, पहनावे, सबको बहुत बारीकी से उकेरा है और इतना रोचक बना दिया है कि छबीला रंगबाज़ एक यादगार किरदार बन जाता है। रुझान से इतिहास, अवधारणा और साहित्य के शोधार्थी प्रवीण कुमार दिल्ली विश्वविद्यालय के सत्यवती कॉलेज में हिन्दी के सहायक प्रोफ़ेसर हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित इनके लेखों और कहानियों ने इन्हें एक उभरते हुए कहानीकार की पहचान दी है। | ||
650 |
_aHindi Fiction: हिंदी कहानी _924243 |
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650 |
_aHindi Literature: हिनी साहित्य _924244 |
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700 |
_aKUMAR (Pravin): कुमार ( प्रवीण) _924245 |
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942 |
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999 |
_c221954 _d221954 |