TY - BOOK AU - Manglesh Dabral: मंगलेश डबराल AU - AU - DABRAL (Manglesh): डबराल (मंगलेश) AU - CHATURVEDI (Pankaj): चतुर्वेदी (पंकज) TI - Pratinidhi kavitayen: प्रतिनिधि कविताएँ SN - 9788126729968 U1 - H891.1 23 PY - 2021/// CY - Dilli PB - Rajkamal Prakashan KW - Hindi Poetry: हिंदी कविता KW - Hindi Literature: हिंदी साहित्य N2 - आलोकधन्वा कहते हैं कि 'मंगलेश फूल की तरह नाज़ुक और पवित्र हैं।' निश्चय ही स्वभाव की सचाई, कोमलता, संजीदगी, निस्पृहता और युयुत्सा उन्हें अपनी जड़ों से हासिल हुई है, पर इन मूल्यों को उन्होंने अपनी प्रतिश्रुति से अक्षुण्ण रखा है। मंगलेश डबराल की काव्यानुभूति की बनावट में उनके स्वभाव की केन्द्रीय भूमिका है। उनके अन्दाज़े-बयाँ में संकोच, मर्यादा और करुणा की एक लजिऱ्श है। एक आक्रामक, वाचाल और लालची समय में उन्होंने सफलता नहीं, सार्थकता को स्पृहणीय माना है और जब उनका मन्तव्य यह हो कि मनुष्य होना सबसे बड़ी सार्थकता है, तो ऐसा नहीं कि यह कोई आसान मकसद है, बल्कि सहज ही अनुमान किया जा सकता है कि यह आसानी कितनी दुश्वार है। ER -