Pratinidhi kavitayen: प्रतिनिधि कविताएँ
Material type:
- 9788126724123
- 23 H891.1 JOSP
Item type | Current library | Collection | Call number | Status | Barcode | |
---|---|---|---|---|---|---|
![]() |
St Aloysius Library | Hindi | H891.1 JOSP (Browse shelf(Opens below)) | Available | 076326 |
Browsing St Aloysius Library shelves, Collection: Hindi Close shelf browser (Hides shelf browser)
![]() |
No cover image available No cover image available |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
||
H891.1 HADK Kaaljayi kavi aur unka kavya: Amir Khusro: कालजयी कवि और उनका काव्य: आमिर खुसरो | H891.1 ILAG Gandhi nama: गाँधी नामा | H891.1 JASD Deh Dubai Dildesh: देह दुबई दिल देश | H891.1 JOSP Pratinidhi kavitayen: प्रतिनिधि कविताएँ | H891.1 KALP Prerana प्रेरणा | H891.1 KAMH Hindustani gajale: हिंदुस्तानि गज़ले | H891.1 KAMP Pratinidhi kavitayen: प्रतिनिधि कविताएँ |
राजेश जोशी की कविताओं को पढ़ना एक पीढ़ी और उसके समय से दस-पन्द्रह साल पीछे की कविता और उससे जुड़ी बहसों के बारे में सोचना, और इतने ही साल आगे की कविता और उसकी मुश्किलों की ओर ताकना है।
कविता की एक संश्लेषी परम्परा रही है, जिसके भीतर राजेश जोशी की सक्रियता देखी जा सकती है। इसी बात ने उन्हें ख़ास पहचान दी और समकालीन कविता को भी। केदारनाथ सिंह का यह कथन बिलकुल दुरुस्त है कि ‘राजेश जोशी आज की कविता के उन थोड़े से महत्त्वपूर्ण हस्ताक्षरों में हैं, जिनसे समकालीन कविता की पहचान बनी है।’
राजेश जोशी की ‘समझ’ से समकालीन कविता और उसकी नई पीढ़ी अभिन्न है।
कविता की एक संश्लेषी परम्परा, जो पीछे ही नहीं आगे भी जाती है। इसमें प्रतिरोध और प्रतिबद्धता है तो पर्याप्त लोच भी है।
There are no comments on this title.