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Aushad Darshan औषध दर्शन

By: Contributor(s): Material type: TextTextLanguage: Hindi Publication details: Haridwar Divya Prakashan 2004Description: xviii,76 p. PB 21.5x13.5 cmISBN:
  • 8189235044
Subject(s): DDC classification:
  • 23 H891.4 BALA
Summary: आयुर्वेद चिकित्सा - कर्म में जिन औषधियों के अनेक चामत्कारिक प्रभाव रोगों पर देखने को मिले उन औषधियों का विवरण ' स्वान्तः सुखाय ' संगृहीत करते रहे , कालान्तर में वही सामग्री ' औषध - दर्शन ' के रूप में प्रकाशित हुई । इस छोटी सी पुस्तक ने जहाँ एक ओर आयुर्वेदिक चिकित्सा जगत में क्रान्ति पैदा कर दी , वहीं दूसरी ओर इस चिकित्सा पद्धति को नई ऊँचाइयाँ भी प्रदान की । हमें हजारों वैद्यों के माध्यम से इस चिकित्सा परम्परा को राष्ट्रव्यापी बनाने का अवसर प्राप्त हुआ , इसी के साथ इस पुस्तक का जन - जन तक तेजी से प्रसार हुआ हमने कभी कल्पना नहीं की थी कि यह पुस्तक लाखों वैद्यों के चिकित्सकीय प्रशिक्षण की आधारशिला बन जाएगी । इसे लोगों ने हाथों - हाथ लिया व बड़ी तेजी से अपनाया । अब तक ' औषध - दर्शन ' की 95 लाख प्रतियाँ 15 भाषाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं और 10 साल के अन्दर ये सभी प्रतियाँ बिक चुकी हैं । इस पुस्तक ने आयुर्वेद चिकित्सा के क्षेत्र में प्रसार संख्या की दृष्टि से नया कीर्तिमान बनाया है । इससे इसकी उपयोगिता व श्रेष्ठता स्वतः प्रमाणित होती है । इस पुस्तक ने लोगों में एक नई सोच पैदा करके , परम्परागत आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को नई उड़ान दी है । गागर में सागर भरने वाली इस सारगर्भित एवं चिकित्सा के लिए विश्वसनीय पुस्तक का परिवर्धित व परिष्कृत नवीन संस्करण प्रस्तुत है ।
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George Fernandes Collections George Fernandes Collections St Aloysius Library Hindi H891.4 BALA (Browse shelf(Opens below)) Available GF02770
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आयुर्वेद चिकित्सा - कर्म में जिन औषधियों के अनेक चामत्कारिक प्रभाव रोगों पर देखने को मिले उन औषधियों का विवरण ' स्वान्तः सुखाय ' संगृहीत करते रहे , कालान्तर में वही सामग्री ' औषध - दर्शन ' के रूप में प्रकाशित हुई । इस छोटी सी पुस्तक ने जहाँ एक ओर आयुर्वेदिक चिकित्सा जगत में क्रान्ति पैदा कर दी , वहीं दूसरी ओर इस चिकित्सा पद्धति को नई ऊँचाइयाँ भी प्रदान की । हमें हजारों वैद्यों के माध्यम से इस चिकित्सा परम्परा को राष्ट्रव्यापी बनाने का अवसर प्राप्त हुआ , इसी के साथ इस पुस्तक का जन - जन तक तेजी से प्रसार हुआ हमने कभी कल्पना नहीं की थी कि यह पुस्तक लाखों वैद्यों के चिकित्सकीय प्रशिक्षण की आधारशिला बन जाएगी । इसे लोगों ने हाथों - हाथ लिया व बड़ी तेजी से अपनाया । अब तक ' औषध - दर्शन ' की 95 लाख प्रतियाँ 15 भाषाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं और 10 साल के अन्दर ये सभी प्रतियाँ बिक चुकी हैं । इस पुस्तक ने आयुर्वेद चिकित्सा के क्षेत्र में प्रसार संख्या की दृष्टि से नया कीर्तिमान बनाया है । इससे इसकी उपयोगिता व श्रेष्ठता स्वतः प्रमाणित होती है । इस पुस्तक ने लोगों में एक नई सोच पैदा करके , परम्परागत आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को नई उड़ान दी है । गागर में सागर भरने वाली इस सारगर्भित एवं चिकित्सा के लिए विश्वसनीय पुस्तक का परिवर्धित व परिष्कृत नवीन संस्करण प्रस्तुत है ।

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